Monday, 11 April 2011

वर्ष २०११ अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष, 2011 is international year chemistry.


वर्ष २०१११ अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष


 वर्ष २०११ अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष, 2011 is international year chemistry.
वर्ष २०११ अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है २०११ में रसायन और भौतिकी की एक प्रख्यात वैज्ञानिक मैडम क्यूरी को नोबल पुरस्कार मिले को १०० वर्ष पूरे हुए है इस लिए इन्हें सम्मान स्वरूप भी इस वर्ष को  अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष के रूप में मनाया जाना इनके निमित्त श्रद्धांजलि होगी |
http://hi.wikipedia.org/wiki
विज्ञान की दो अलग अलग शाखाओं में भौतिकी और रसायन में अलग अलग नोबल पाने वाली और नोबल के इतिहास में कीर्तिमान बनाने वाली मैडम क्युरी को पहला नोबल भौतिकी १९०३ में उनके पति पियरे क्युरी  और उनके गुरु हेनरी बेक्वेरेल के साथ साझे में मिला था और दुसरा नोबल उनको रसायन में उनके अभूतपूर्व योगदान रेडियोधर्मिता की खोज के लिए मिला था |
जैसे कि
विश्व भौतिकी वर्ष-२००५
अन्तराष्ट्रीय पृथ्वी ग्रह वर्ष-२००८
अन्तराष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष-२००९
अन्तराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष-२०१०
को  मनाया गया इसी प्रकार वर्ष २०११ को सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष २०११ को अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की है |
सयुंक्त राष्ट्र संघ सन १९५९ से ही विषय केंद्रित अन्तराष्ट्रीय वर्ष घोषित कर रहा है |यह इस लिए किया जाता है कि विषय के बारे में  उस के मुद्दों के बारे में दुनिया की का ध्यान आकर्षित किया जा सके और इन के अंतर्गत समस्याओं का हल निकाला जा सके और ज्ञान वर्धन किया जा सके |
वर्ष 2011 को अंतर्राष्ट्रीय रसायन शास्त्र वर्ष के रूप में मनाने की शुरुआत,
" वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र की 63वीं आमसभा में लिए गए संकल्प के मुताबिक वर्ष 2011 को अंतर्राष्ट्रीय रसायन शास्त्र वर्ष के रूप में मनाया जाएगा"
इस वर्ष रसायन विज्ञान की वैज्ञानिक उपलब्धियां तथा मानव ज्ञान,पर्यावरण सुरक्षा,स्वास्थ्य सुधार तथा आर्थिक विकास में रसायन विज्ञान के योगदानों के उत्सव के रूप में मनाया जाएगा |
अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष-२०११ की मुख्य विषय वस्तु है : 'रसायन विज्ञान-हमारा जीवन हमारा भविष्य' "Chemistry–our life, our future,"  
सयुंक्त राष्ट्र संघ ने अंतर्राष्ट्रीय रसायन शास्त्र वर्ष-२०११ को सफल बनाने का दायित्व यूनेसकोUNESCOआई.पी.यू.ए.सी. International Union of Pure and Applied Chemistry को सौंपा है | इसके कार्यक्रमों के अंतर्गत वर्ष २०११ में कईं तरह की इंटरएक्टिव एवं शैक्षिक गतिविधियों का विश्ववयापी आयोजन किया जाएगा |
स्थानीय रीजनल एवं राष्ट्रीय स्तर पर आम  लोगो की भागेदारी सुनिशित की जायेगी |
तांकि आम आदमी भी समझ सके कि मानव की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रसायन विज्ञान की क्या भूमिका है यही वह विज्ञान है जिस ने मानव को विकसित करने के साथ साथ मानव समाज की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है |
उदेश्य :
-युवा वर्ग में रसायन की रूचि पैदा करना|
-प्रक्रतिक संसाधनों का कुशल प्रबंधन करने के लिए रसायन विज्ञान का प्रयोग किया जाएगा |
- रसायन विज्ञान सृजनात्मक भविष्य के बारे में जागरूकता पैदा की जायेगी |
-मानव के पृथ्वी और ब्रम्हाण्ड के बारे में जानकारी के अंतर्गत रसायन विज्ञान के ज्ञान का समावेश  |
-आणविक ओषधि ,आणविक उर्जा के विकास में रसायन विज्ञान की अहम भूमिका होगी |
-महिलाओं के विज्ञान में योगदान को समझने का सुअवसर होगा यह  २०११ वर्ष |
साथ ही साथ आओ हम भी शुरू कर देतें हैं इसका आयोजन ये जानकर कि रसायन विज्ञान की कितनी शाखाएं है |
अकार्बनिक  रसायन विज्ञान
कार्बनिक रसायन विज्ञान
भौतिक  रसायन विज्ञान
विश्लेषक  रसायन विज्ञान
जीव  रसायन विज्ञान
कृषि रसायन विज्ञान
ओषधि  रसायन विज्ञान
ओद्योगिक  रसायन विज्ञान
नाभकीय  रसायन विज्ञान
भू  रसायन विज्ञान
अंतरिक्ष  रसायन विज्ञान
हरित  रसायन विज्ञान
अभियांत्रिक  रसायन विज्ञान
आदि  आदि










Sunday, 10 April 2011

एमएलएन कॉलेज में संगोष्ठी का आयोजन IYC-2011 MLN College Yamuna Nagar

एमएलएन कॉलेज में संगोष्ठी का आयोजन  IYC-2011 MLN College Yamuna Nagar 

रसायन विकास क्रम का मूल आधार
वक्ताओं ने रखे विचा
एमएलएन कॉलेज में रसायन शास्त्र विभाग की ओर से दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।कुरुक्षेत्र विवि के डा. ओपी अरोड़ा ने कहा कि रसायन मानव जीवन ही नहीं, अपितु वनस्पति जगत और जीव जंतुओं के जीवन विकास क्रम का मूल आधार है। रसायन के बिना पृथ्वी पर चेतन जगत की कल्पना बेमानी है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को रसायन तथा विद्यार्थी को रसायन शास्त्र का ज्ञान होना जरूरी है। इससे पहले गोष्ठी का आरंभ रसायन शास्त्र के एचओडी डा. अविनाश सिंह ने विषय की भूमिका देते हुए किया। 
कुरुक्षेत्र विवि के प्रो. एससी भाटिया ने कहा कि सौंदर्य पदार्थों के अत्यधिक प्रयोग से चर्म रोगों को बढ़ावा मिलता है। इसलिए महिलाओं को इसका प्रयोग सावधानी से करना चाहिए। हिसार कृषि विवि के डा. सुधीर ने आने वाले समय में रसायन जगत इतना अधिक आविष्कृत होगा कि व्यक्ति व्यक्ति की शारीरिक संरचना के अनुरूप दवाइयां ईजाद की जाएगी। पंजाबी विवि पटियाला के डा. मोहम्मद यूसुफ, डा. रमेश कुमार ने विचार रखे। सेमिनार में 200 विद्यार्थियों ने भाग लिया। मौके पर पोस्टर, निबंध व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मौके पर डा. गुलशन सेठी, डा. राजीव कलसी, डा. बी मदन मोहन, डा. राजीव भंडारी, डा. हर्ष मोहन, डा. सत्यनारायण व डा. अरविंद्र कुमार उपस्थित थे। 
मै भी सयोंग से इस कार्यक्रम के दूसरे दिन अपने कुछ भूतपूर्व छात्र छात्राओं के निमंत्रण पर कोलिज पहुंचा, बता दूं कि विज्ञान संचार के अपने कार्य के तहत मेरा प्रयास यह होता है कि मै ग्रामीण इलाको से अपने विद्यार्थियों को मैट्रिक यानी दसवी के बाद आगे विज्ञान संकाय की  शिक्षा के लिए प्रेरित करूँ और हर वर्ष १० -१५ बच्चों को मेडिकल और नॉन मेडिकल १०+१ में प्रवेश दिलवाता हूँ उन का विज्ञान की शिक्षा के प्रति भय और शंका दूर करने में पूर्रे वर्ष का समय लगता है|
ये ही बच्चे स्नातक कक्षाओं में शहर के ३ कोलिजो में B.Sc में प्रवेश लेते है |
इस स्थानीय कोलिज में मेरे भूतपूर्व छात्र/छात्राओं में से शिक्षक और विद्यार्थी दोनों रूपों में मोजूद है इन्ही के निमंत्रण पर मै अनोपचारिक तौर पर इस कार्यक्रम में शरीक हुआ |
बहुत ही अच्छा लगा कार्यक्रम देख कर,जिस प्रकार से उम्दा अरेंजमेंट किया गया था से साफ़ पता चलता था कि कई दिनों से बच्चे तयारियों में लगे होंगे |
पोस्टर बहुत ही अच्छे लगे,उन की व्याख्या करने वाले विद्यार्थी पूरा दम लगा कर पोस्टर से दर्शकों को रूबरू करवा रहे थे |
M.Sc.,B.Sc. के विद्यार्थियों से मिल कर बहुत अच्छा लगा |
इस तरह के आयोजन विषय में रूचि उत्पन्न करते है |
मेरे विचार से कोशिश की जानी चाहिए थी कि स्थानीय और ग्रामीण स्कूलों से विज्ञान अध्यापको को भी बुलाया जाता पहले इस कोलिज की ऐसी परम्परा रही है १९९५ में मैंने इसी कोलिज में  पूर्ण सूर्य ग्रहण पर दूरदर्शी निर्माण पर एक तीन दिन की कार्यशाला अटैंड की है और कोलिज के मैदान में
पूर्ण सूर्य ग्रहण का सीधा दृश्य जनता को दिखाया हुआ है |
मै शायद ना जा पता यदि मेरे भूतपूर्व विद्यार्थी मुझे ना बताते,
कोलिज प्रशासन और सम्बन्धित शिक्षक वर्ग का बहुत बहुत धन्यवाद |         
 

Wednesday, 6 April 2011

कुट्टू का आटा "kuttu ka atta"

क्या होता है कुट्टू का आटा "kuttu ka atta"
लोग नवरात्रों के व्रत में कुट्टू के आटे का इस्तेमाल करते है और इन दिनों इस की मांग ज्यादा हो जाती है जब नवरात्रे होते है |
मांग बढने का कारण है गली नुक्कडों से लेकर ढाबों और रेस्टोरेंटों,होटलों में भी मुनाफ़ा कमाने के लिए और मोका कैश करने के लिए नवरात्रों के व्यंजन थाली बनाने लगे है |
डिमांड  ज्यादा होने के कारण इस आटे पर भी मिलावटखोरों की नजर पड गई है।
आओ  जाने है क्या कुट्टू का आटा :-
वास्तव  में जो बक्वीट buckwheat का पौधा है उसी के बीजों से बनता है कुट्टू  या फाफरे का आटा,नवरात्र में व्रतियों के लिए कुट्टू से बना खाना जहर साबित हुआ। दरअसल एक तरफ कुट्टू का आटा अपने अंदर बड़े गुण छिपाए है, वहीं पुराना होने पर जहरीला भी हो जाता है। जानकारों की मानें तो कुट्टू का आटा बनने के एक माह तक ही खाने लायक रहता है। इससे पुराना होने पर वह खाने के अनुकूल नहीं रहता। वह जहरीला हो जाता है।
कुट्टू रागी यानि फिंगर मिलेट से भी बनता है
सिंघाडा से भी बनता है
कुट्टू कहे जाने वाले आटे को अंग्रेजी में 'बकवीट' तो पंजाब में 'ओखला' के नाम से जाना जाता है। । इसका वैज्ञानिक नाम 'फैगोपाइरम एसक्युल्युटम' है। बकवीट का पौधा होता है। जो काफी तेजी के साथ बढ़ता है और 6 हफ्ते में इसकी लंबाई 50 इंच तक बढ़ जाती है। बकवीट के सफेद फूल में से बीज निकाला जाता है। जिसे महीन पीसकर कुट्टू का आटा तैयार होता है। इस आटे में दुकानदार सिंघाड़ा गिरी को पीसकर बनाया गया आटा भी मिला देते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्र व महाशिवरात्री में लोग इस आटे की पूड़ी व पकौड़े बनाकर व्रत खोलते हैं।
बकवीट से बनती हैं दवाइया भी
बकवीट शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें 75 प्रतिशत कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होते हैं और 25 प्रतिशत हाई क्वालिटी प्रोटीन की मात्रा होती है। जो शरीर का वजन कम करने में सहायक है। बकवीट ब्लड प्रेशर व हार्ट के मरीज के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें मैगनीशियम, फाइबर, विटामिन-बी, आयरन, फासफोरस की मात्रा अधिक होती है। कई दवाइयों में बकवीट का उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं न्यूजीलैंड में तो फसल पर कीड़ों की रोकथाम के लिए कुट्टू पर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। इसके अलावा हल्की गर्मियों के दिनों में दो फसलों के बीच किसान इसकी खेती करते हैं। जो जमीन की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाता है।
आटा खाने लायक है या नहीं कैसे पता लगाएं
-कुट्टू का आटा लेते समय उसमें देखें कि आटे में काले दाने जैसा तो कुछ नहीं है
-आटे में खुरदरापन नहीं होना चाहिए
-आटा लेते समय ध्यान रखें कि पैकेट सील बंद हो।
-अकसर लालच में दुकानदार पिछले वर्ष का बचा हुआ माल बेचते हैं। जिसमें काफी जल्दी सुरसुरी (खाद्य पदार्थ में होने वाले छोटे कीड़े) पड़ जाते हैं।
-कई बार पुराने आटे में चूहे आदि छोटे कीड़ों के कारण फंगल इंफेकशन हो जाता है
-हमेशा बाजार से लाया गया आटा छानकर उपयोग करें
-वर्तमान में मार्केट में आटा 80-120 रुपये किलो है। अगर मार्केट में आपको कोई इससे सस्ता आटा दे तो समझ लें कि कुछ गड़बड़झाला है
बचा खुचा पुराना माल बेचा जा रहा है आजकल
काली दाल के छिलके,चावल  की किनकी को पीस कर अन्य आटे में मिला कर भी बनाया जा रहा है |
संदर्भ: दैनिक जागरण,विकिपीडिया      


   

Saturday, 2 April 2011

घनत्व का खेल Density Difference


घनत्व का खेल Density Difference
आवश्यक सामग्री :- पेट्रोल,डीजल,केरोसीन,पानी ,मापक सिलेंडर(या कोई भी काँच का ऐसा बर्तन)
सिद्धांत :-घनत्व Density
प्रयोग विधि :- मापक सिलेंडर ले कर उस में बारी बारी चारों द्रव डाल लेते है कुछ देर रुकने पर हम देखते है मापक सिलेंडर में चार लेयरस बन गई है क्रमशः नीचे से पानी,केरोसीन,डीजल,पेट्रोल 
नोट :-डीजल,पेट्रोल की लेयरस थोड़ा ध्यान से देखने पर मालूम होती है | 
चित्र देखे ..


ऐसा  क्यों ? सब द्रवो का घनत्व Density अलग अलग होता है (साधारण भाषा में कहे तो अधिक घनत्व वाला द्रव अधिक भारी) इस कारण ऐसा होता है |
अलग  अलग द्रव ले कर प्रयोग  करो |
ग्रे साइन्टिफिक वर्क्स यमुना नगर द्वारा सुझाया गया
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा