Wednesday, 6 April 2011

कुट्टू का आटा "kuttu ka atta"

क्या होता है कुट्टू का आटा "kuttu ka atta"
लोग नवरात्रों के व्रत में कुट्टू के आटे का इस्तेमाल करते है और इन दिनों इस की मांग ज्यादा हो जाती है जब नवरात्रे होते है |
मांग बढने का कारण है गली नुक्कडों से लेकर ढाबों और रेस्टोरेंटों,होटलों में भी मुनाफ़ा कमाने के लिए और मोका कैश करने के लिए नवरात्रों के व्यंजन थाली बनाने लगे है |
डिमांड  ज्यादा होने के कारण इस आटे पर भी मिलावटखोरों की नजर पड गई है।
आओ  जाने है क्या कुट्टू का आटा :-
वास्तव  में जो बक्वीट buckwheat का पौधा है उसी के बीजों से बनता है कुट्टू  या फाफरे का आटा,नवरात्र में व्रतियों के लिए कुट्टू से बना खाना जहर साबित हुआ। दरअसल एक तरफ कुट्टू का आटा अपने अंदर बड़े गुण छिपाए है, वहीं पुराना होने पर जहरीला भी हो जाता है। जानकारों की मानें तो कुट्टू का आटा बनने के एक माह तक ही खाने लायक रहता है। इससे पुराना होने पर वह खाने के अनुकूल नहीं रहता। वह जहरीला हो जाता है।
कुट्टू रागी यानि फिंगर मिलेट से भी बनता है
सिंघाडा से भी बनता है
कुट्टू कहे जाने वाले आटे को अंग्रेजी में 'बकवीट' तो पंजाब में 'ओखला' के नाम से जाना जाता है। । इसका वैज्ञानिक नाम 'फैगोपाइरम एसक्युल्युटम' है। बकवीट का पौधा होता है। जो काफी तेजी के साथ बढ़ता है और 6 हफ्ते में इसकी लंबाई 50 इंच तक बढ़ जाती है। बकवीट के सफेद फूल में से बीज निकाला जाता है। जिसे महीन पीसकर कुट्टू का आटा तैयार होता है। इस आटे में दुकानदार सिंघाड़ा गिरी को पीसकर बनाया गया आटा भी मिला देते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्र व महाशिवरात्री में लोग इस आटे की पूड़ी व पकौड़े बनाकर व्रत खोलते हैं।
बकवीट से बनती हैं दवाइया भी
बकवीट शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें 75 प्रतिशत कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होते हैं और 25 प्रतिशत हाई क्वालिटी प्रोटीन की मात्रा होती है। जो शरीर का वजन कम करने में सहायक है। बकवीट ब्लड प्रेशर व हार्ट के मरीज के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें मैगनीशियम, फाइबर, विटामिन-बी, आयरन, फासफोरस की मात्रा अधिक होती है। कई दवाइयों में बकवीट का उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं न्यूजीलैंड में तो फसल पर कीड़ों की रोकथाम के लिए कुट्टू पर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। इसके अलावा हल्की गर्मियों के दिनों में दो फसलों के बीच किसान इसकी खेती करते हैं। जो जमीन की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाता है।
आटा खाने लायक है या नहीं कैसे पता लगाएं
-कुट्टू का आटा लेते समय उसमें देखें कि आटे में काले दाने जैसा तो कुछ नहीं है
-आटे में खुरदरापन नहीं होना चाहिए
-आटा लेते समय ध्यान रखें कि पैकेट सील बंद हो।
-अकसर लालच में दुकानदार पिछले वर्ष का बचा हुआ माल बेचते हैं। जिसमें काफी जल्दी सुरसुरी (खाद्य पदार्थ में होने वाले छोटे कीड़े) पड़ जाते हैं।
-कई बार पुराने आटे में चूहे आदि छोटे कीड़ों के कारण फंगल इंफेकशन हो जाता है
-हमेशा बाजार से लाया गया आटा छानकर उपयोग करें
-वर्तमान में मार्केट में आटा 80-120 रुपये किलो है। अगर मार्केट में आपको कोई इससे सस्ता आटा दे तो समझ लें कि कुछ गड़बड़झाला है
बचा खुचा पुराना माल बेचा जा रहा है आजकल
काली दाल के छिलके,चावल  की किनकी को पीस कर अन्य आटे में मिला कर भी बनाया जा रहा है |
संदर्भ: दैनिक जागरण,विकिपीडिया      


   

No comments:

Post a Comment