Sunday, 10 April 2011

एमएलएन कॉलेज में संगोष्ठी का आयोजन IYC-2011 MLN College Yamuna Nagar

एमएलएन कॉलेज में संगोष्ठी का आयोजन  IYC-2011 MLN College Yamuna Nagar 

रसायन विकास क्रम का मूल आधार
वक्ताओं ने रखे विचा
एमएलएन कॉलेज में रसायन शास्त्र विभाग की ओर से दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।कुरुक्षेत्र विवि के डा. ओपी अरोड़ा ने कहा कि रसायन मानव जीवन ही नहीं, अपितु वनस्पति जगत और जीव जंतुओं के जीवन विकास क्रम का मूल आधार है। रसायन के बिना पृथ्वी पर चेतन जगत की कल्पना बेमानी है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को रसायन तथा विद्यार्थी को रसायन शास्त्र का ज्ञान होना जरूरी है। इससे पहले गोष्ठी का आरंभ रसायन शास्त्र के एचओडी डा. अविनाश सिंह ने विषय की भूमिका देते हुए किया। 
कुरुक्षेत्र विवि के प्रो. एससी भाटिया ने कहा कि सौंदर्य पदार्थों के अत्यधिक प्रयोग से चर्म रोगों को बढ़ावा मिलता है। इसलिए महिलाओं को इसका प्रयोग सावधानी से करना चाहिए। हिसार कृषि विवि के डा. सुधीर ने आने वाले समय में रसायन जगत इतना अधिक आविष्कृत होगा कि व्यक्ति व्यक्ति की शारीरिक संरचना के अनुरूप दवाइयां ईजाद की जाएगी। पंजाबी विवि पटियाला के डा. मोहम्मद यूसुफ, डा. रमेश कुमार ने विचार रखे। सेमिनार में 200 विद्यार्थियों ने भाग लिया। मौके पर पोस्टर, निबंध व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मौके पर डा. गुलशन सेठी, डा. राजीव कलसी, डा. बी मदन मोहन, डा. राजीव भंडारी, डा. हर्ष मोहन, डा. सत्यनारायण व डा. अरविंद्र कुमार उपस्थित थे। 
मै भी सयोंग से इस कार्यक्रम के दूसरे दिन अपने कुछ भूतपूर्व छात्र छात्राओं के निमंत्रण पर कोलिज पहुंचा, बता दूं कि विज्ञान संचार के अपने कार्य के तहत मेरा प्रयास यह होता है कि मै ग्रामीण इलाको से अपने विद्यार्थियों को मैट्रिक यानी दसवी के बाद आगे विज्ञान संकाय की  शिक्षा के लिए प्रेरित करूँ और हर वर्ष १० -१५ बच्चों को मेडिकल और नॉन मेडिकल १०+१ में प्रवेश दिलवाता हूँ उन का विज्ञान की शिक्षा के प्रति भय और शंका दूर करने में पूर्रे वर्ष का समय लगता है|
ये ही बच्चे स्नातक कक्षाओं में शहर के ३ कोलिजो में B.Sc में प्रवेश लेते है |
इस स्थानीय कोलिज में मेरे भूतपूर्व छात्र/छात्राओं में से शिक्षक और विद्यार्थी दोनों रूपों में मोजूद है इन्ही के निमंत्रण पर मै अनोपचारिक तौर पर इस कार्यक्रम में शरीक हुआ |
बहुत ही अच्छा लगा कार्यक्रम देख कर,जिस प्रकार से उम्दा अरेंजमेंट किया गया था से साफ़ पता चलता था कि कई दिनों से बच्चे तयारियों में लगे होंगे |
पोस्टर बहुत ही अच्छे लगे,उन की व्याख्या करने वाले विद्यार्थी पूरा दम लगा कर पोस्टर से दर्शकों को रूबरू करवा रहे थे |
M.Sc.,B.Sc. के विद्यार्थियों से मिल कर बहुत अच्छा लगा |
इस तरह के आयोजन विषय में रूचि उत्पन्न करते है |
मेरे विचार से कोशिश की जानी चाहिए थी कि स्थानीय और ग्रामीण स्कूलों से विज्ञान अध्यापको को भी बुलाया जाता पहले इस कोलिज की ऐसी परम्परा रही है १९९५ में मैंने इसी कोलिज में  पूर्ण सूर्य ग्रहण पर दूरदर्शी निर्माण पर एक तीन दिन की कार्यशाला अटैंड की है और कोलिज के मैदान में
पूर्ण सूर्य ग्रहण का सीधा दृश्य जनता को दिखाया हुआ है |
मै शायद ना जा पता यदि मेरे भूतपूर्व विद्यार्थी मुझे ना बताते,
कोलिज प्रशासन और सम्बन्धित शिक्षक वर्ग का बहुत बहुत धन्यवाद |         
 

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