अंतर्राष्ट्रीय रसायन वर्ष-२०११ IYC-2011
जन सामान्य तक रसायन की समझ उत्पन्न करने के लिए और विद्यार्थियों में रसायन विज्ञान के प्रति रूचि उत्त्पन्न करने के लिए इस ब्लॉग पर मिलेंगे साधारण और किये जा सकने वाले रासायनिक प्रयोग जिन से लेंगे आप रसायन शास्त्र का ज्ञान ..मास्टर जी का रसायन विज्ञान चिट्ठा
Saturday, 14 January 2012
Monday, 17 October 2011
सोडियम_का_डांस_dancing_sodium
सोडियम_का_डांस_dancing_sodium
आज के प्रयोग में आप देखेंगे की किस तरह से सोडियम पानी और केरोसिन तेल के बीच में डांस करता है जब सोडियम पानी के सम्पर्क में आता है तो वो पानी से क्रिया कर के उछलता है और जैसे ही उछल कर पानी की सतह से उपर जाता है तो केरोसिन तेल में जाकर फिर नीचे आता है।
Sunday, 2 October 2011
कैसे बुझ गयी मोमबत्ती carbon_di_oxide
कैसे बुझ गयी मोमबत्ती carbon_di_oxide
कार्बनडाईआक्साईड गैस का बनना
कार्बनडाईआक्साईड गैस का बनना
एलुमिनियम की NaOH क्रिया reaction of Al with NaOH
एलुमिनियम की NaOH क्रिया reaction of Al with NaOH
A few transition metals, however, may react vigorously with sodium hydroxide.
2 Al + 2 NaOH + 2 H2O → 2 NaAlO2 + 3 H2
A few transition metals, however, may react vigorously with sodium hydroxide.
2 Al + 2 NaOH + 2 H2O → 2 NaAlO2 + 3 H2
सोडियम की पानी से क्रिया reaction of sodium water
सोडियम की पानी से क्रिया reaction of sodium water
Monday, 23 May 2011
खूनी पंजे छापना और भूत भगाना Khuni Panja
खूनी पंजे छापना और भूत भगाना Khuni Panja
लाल पंजों के निशान |
अंतर्राष्ट्रीय रसायन वर्ष के तहत आज स्कूली बच्चों को यह बताया गया कि किस प्रकार ठग बाबे सयाने मियाँ मासूम लोगों को तथाकथित चमत्कार दिखा कर गुमराह करते है और लुटते हैं |
चमत्कारों के पीछे रसायन शास्त्र
रसायन शास्त्र का प्रयोग कर के वो लोगो को रासायनिक क्रियाओं के द्वारा बेवकूफ बनाते हैं |
आज ऐसा ही एक प्रयोग कर के दिखाया गया
इस चमत्कार से जुडी कहानी पहले सुनाई जाए फिर प्रयोग का खुलासा करने मे आसानी होगी |
एक ओरत रोती हुई एक बाबे की कुटीया मे जाती है और वो वहां पर सयानों को बताती है कि उस के घर सब बीमार रहते है आप कोई ऐसा चमत्कार कर दो कि सब ठीक हो जाए, बाबे ने अपनी पोटली से एक पीला कपड़ा निकाला और उस ओरत के हाथ अपने लोटे के जल से धुलवाए और उस पीले कपडे पर गीले गीले हाथ रखने को कहा; वह ओरत अपने हाथ पीले कपडे पर रख देती है बाबा जी मन्त्र पड़ते हैं और हाथ उठाने को कहता है तो पीले कपडे पर दोनों खूनी पंजे छप जाते हैं |
बाबा उस ओरत को कहता है जाओ अब तुम्हारे अंदर से मैंने खूनी-प्यासी आत्मा निकाल दी है और उस के सब गहने और नगदी ले कर फरार हो जाते है |
आओ अब जाने ये खूनी पंजे कैसे छप जाते है ?
आवश्यक सामान |
पीला कपड़ा : एक बर्तन मे पानी मे हल्दी का पाउडर घोल कर उस मे एक सफ़ेद कपड़ा डुबो लेते हैं उस सफेद कपडे पर हल्दी का पीला रंग चढ जाता है|
चूने का घोल : फिर पानी मे सफेदी करने वाला चूना डाल कर घोल लेते हैं थोड़ी देर मे चूना पाउडर नीचे बैठ जाता है और चुने का पारदर्शक घोल बच जाता है|
कल्ब सदस्य प्रयोग करते हुए |
कैसे किया :
इस घोल से हाथ धुलवा कर जब गीले हाथ पीले कपडे पर रखने से हल्दी के साथ चूने के पानी की क्रिया होती है
तो लाल लहू जैसा रंग के पंजे पीले कपडे पर छप गए;
हल्दी की क्षार के साथ क्रिया लाल रंग उत्त्पन्न करती है
ऐसा दैनिक जीवन मे तब देखने को मिलता है जब कभी खाना खाते हुए सब्जी के दाग कपड़ो पर लग जाते हैं और जब उन कपड़ों को धोया जाता है तो साबुन (क्षार) के साथ क्रिया कर के वो लाल बन जाते है |
यह देखें सारे चित्र
Tuesday, 3 May 2011
ताम्बे का सोना चाँदी बनवा लो Gold Magishian Chemistry Drama
ताम्बे का सोना चाँदी बनवा लो Gold Magishian
विज्ञान नाटिका शृंखला-२
मीना का कारनामा
विज्ञान नाटिका शृंखला-२
मीना का कारनामा
Meena's Science World
(नेपथ्य से उठती आवाज ...और फिर एक आदमी का मंच पर अवतरित होना)गहने साफ़ करवा लो …नए से बनवा लो …..चांदी सोने के गहने धुलवा लो |
चमकवा लो नए बना कर दूंगा …………५ रुपयों में ……
औरत-१ : भईया मेरे गहने साफ़ कर दो इन्हें चमका कर नए जैसे बना दो |
ठग : ला बहन इन्हें तो मै दो मिनट में चमका देता हूँ |
औरत-२ : क्या कर रहे हो तुम सब यहाँ ? (कौतूहलवश पूछती एक अन्य स्त्री)
औरत-१ : बहन मै अपने सोने चांदी के गहने चमकवा रही हूँ ५ रुपयों में |
औरत-१ : वाह भईया ! मेरे पास ताम्बे के सिक्के है पुराने समय के, उन को भी चमका दोगे ?
ठग : अरे मै तेरे ताम्बे के सिक्के को सोने चाँदी के बना दूंगा, मेरे पास चमत्कारी जल है |
दोनों औरत : हैरत से, क्या ? सच में (मुंह खुला का खुला रह जाता है)
मै अभी लाई ,यह कह कर वह औरत अपने ताम्बे के सिक्के लेने घर चली गयी |
(इतने में उसने, औरत-१ को उस के गहने चमका कर दे दिए)
और कहा,
ठग : इन्हें अब तीन दिन तक पानी में डूबों कर रखना है फिर ये जिंदगी में कभी गंदे नहीं होने के |
औरत-२ : लो भईया, ये लो ताम्बे के सिक्के बना दो इन्हें सोने के
(उस ठग ने अपने बक्से से एक चमत्कारी द्रव निकाला, अपने छोटे से स्टोव को जला कर द्रव को गर्म किया और उस में ताम्बे के सिक्के डाल दिए ५-६ मिनट बाद वो चाँदी के बन गए,
अब उसने चिमटी से पकड़ कर उन सिक्को को थोड़ा सा गर्म किया वो सब गर्म हो कर सोने के बनते चले गए)
औरत-१,औरत-२ : वाह जी वाह, आपकी जय हो ….जय हो …
ठग : बहन इनकी गर्मी निकालने के लिए इनको तीन दिन तक पानी में डुबो कर रखना है फिर इनका जो करना है वो कर लेना |
औरत-२ : (ठग से बहुत प्रभावित) आप मेरे भी सोने चाँदी के गहने चमका दो |
ठग : लाओ, एक बड़ा सा लाल कपड़ा भी लेती आना |
औरत-२ : जी अभी लाई |
ठग ने औरत-२ के गहने एक दम बढ़िया चमका दिए,और ठग ने औरत-२ से पूछा क्या वो अपने गहने हीरे पन्ने के बनवाना चाहती है|
औरत-२ : हाँ जी हाँ, मुझे हीरे पन्ने बहुत पसंद हैं |
(ठग ने लाल कपड़ा मांगा और उस में अपनी पोटली से नकली गहने लपेट कर दे दिए और घर के पूजा स्थल में रख कर आने को कहा)
ठग : औरत-२ से इनको पूर्णीमा के दिन खोल कर देखना इनमे चाँद तारे जैसे रत्न जड़ चुकंगे |
औरत-२ : ठीक है जी,मै रख आयी लाल कपडे में लिपटे सारे गहने |
ठग : अच्छा अब मै चलता हूँ तीन दिन बाद आ कर बहन तेरे घर भोजन करूँगा यह कह कर ठग वहां से चम्पत हो गया |
(तभी मीना आती है उस को सारी बात पता चलती है कि कोई सोने चांदी के आभूषण चमका गया है गावं में और ताम्बे के सिक्कों को चांदी और सोने की अशर्फियाँ में बदल गया है | मीना को हैरानी होती है,वैज्ञानिक सोच और तार्किक होने के कारण उस को पता था कि चमत्कार कभी नहीं हो सकते चमत्कारों के होने धोखा दिया जा सकता है)
(स्कूल जा कर मीना ने अपने विज्ञान अध्यापक को सारी बात बतायी)
मीना(अध्यापक से) : ऐसा कैसे हुआ,गहने कैसे चमक गए सर ?
विज्ञान अध्यापक : सोने-चाँदी के गहनों को किसी अम्ल-राज (Aqua regia) में डाल देने से अम्ल-राज सोने के साथ क्रिया कर के सोने को अपने अंदर घोल लेता है जिस को बाद में अन्य रासायनिक क्रियाएँ करवा कर वापस प्राप्त कर लिया जाता है |
मीना : और ताम्बे के सिक्के चाँदी और सोने में कैसे बदल जाते है ?
विज्ञान अध्यापक : हाँ यह प्रयोग बहुत ज्ञानवर्धक है और तुम्हारे पाठ्यक्रम में भी है कक्षा के सब बच्चों को बुला लो,अब ये प्रयोग मै तुम्हे कर के दिखता हूँ |
(बीकर में 250 ml पानी ले कर उस में 50 ग्राम सोडियम हाइड्रोक्साइडNaOH घोल कर गर्म कर लेते है फिर उस गर्म घोल में ताम्बे का सिक्का डाल देते हैं थोड़ी ही देर में जस्तीकरण की क्रिया शुरू हो जाती है और ताम्बे के सिक्के पर जस्त की पतली परत चढ़ जाती है जिस देखने पर वह सिक्का चांदी जैसा लगने लगता है वास्तव में वह होता है जस्तीकृत कापर का सिक्का)
मीना : अब इस जस्तीकृत सिक्के को सोने का कैसे बनाते है ?
विज्ञान अध्यापक : वो भी बना देते हैं पहले आप बताओ कि पीतल मिश्रधातु किस किस धातु से मिल कर बनी होती है
मीना : ताम्बे और ज़स्ते को पिंघला कर मिलाने से |
विज्ञान अध्यापक : सही कहा,इस सिक्के को देखों इस के नीचे तम्बा और उपर जिंक है अब मै इस सिक्के को गर्म करता हूँ उपर की परत पर पीतल बन जाएगा और जिसे वह ठग सोने का बता कर चला गया |
मीना : सच में ! यह तो सोने का ही सिक्का लगता है | परन्तु उस ने तीन दिन तक पानी में रखने को क्यों कहा ?
विज्ञान अध्यापक : ताकि ठगी का भेद तीन दिन बाद खुले और कोई उसे ढूंड ना सके |
मीना : क्या लाल पोटली वाले गहनों पर हीरे पन्ने जड़ेंगे ?
विज्ञान अध्यापक : नहीं,उस लाल पोटली में तो वो गहने भी नहीं होंगे जो उस औरत-२ ने दिए होंगे,उस पोटली में ठग के द्वारा बदल दिए गए नकली गहने होंगे |
मीना : अरे ! ये तो लुट गई बेचारी भोली ओरतें |
विज्ञान अध्यापक : तभी तो कहा है लालच बुरी बला और अज्ञानता अति बुरी बला |
इस पूरे प्रयोग की वैज्ञानिक डिटेल यहाँ पर पढ़े |
प्रस्तुति:- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
रसायन विज्ञान नाटिका -1 Science Drama -1
विज्ञान नाटिका शृंखला-1
मीना का कारनामा
सयाने की पोल मीना ने दी खोल
Meena's Science World
(नेपथ्य से उठती आवाज ...और फिर एक प्रौढ़ महिला का मंच पर अवतरित होना )
आ हा अहा….
अब नहीं आयेंगे मुझे भयानक सपन,
नहीं तंग करेगी मुझे तडपती काली रूह ..
जय पीर बाबा की...जय हो ... जय जय हो...
सयाने जी ने मुझको तंग करने वाली रूह को भगा दिया है
(अब महिला के सामने मंच पर एक छात्रा का भी आगमन )
मीना: वो कैसे चाची जी !
चाची: उसने उस रूह को काली मिर्चों में बुला कर पानी में डाल कर भगा दिया है |
मीना: अच्छा जी ! कितने पैसे लिए आपस ?
चाची: सयाने जी ने कुछ नहीं लिया, वो तो मेरे सारे गहने और पैसे वो बुरी रूह ले गयी|
मीना: चाची जी ये काम यानि आपकी बुरी रूह को तो मै भी भगा सकती थी वो भी मुफ्त में, मैंने भी अपने स्कूल में बुरी रूह भागने का यह तरीका सीखा है|
चाची: अरे! नहीं ,मीना अगर ऐसा है तो कर के दिखा |
मीना: रुको,अभी सामान ले कर आयी |
चाची: तो दिखा रूह को भगा कर |
मीना: लो चाची एक सफेद प्लेट में पानी लेते है|
फिर उस पानी में बुरी रूह को पकड़ने वाली पीसी हुई काली मिर्च डालते है |
मीना: हाँ तो चाची जी ऐसा ही किया था ना उस सयाने ने भी |
चाची: पर वो तो साथ साथ बड़े बड़े कलमे भी पढ़ रहे थे|
मीना: लो चाची जी वो तो मै भी पढ़ सकती हूँ |अब आप अपनी ऊँगली लाओ, पानी से छुवाओ, वो बुरी रूह आप के शरीर से निकल कर काली मिर्च के पाउडर में आ जाएगी|
(चाची ने ऐसा ही किया अपनी ऊँगली को पानी से छुवाया तो पहले कुछ नहीं हुआ| फिर मीना ने शैम्पू या साबुन के पानी से थोड़ा सा भीगे हुए कपड़े से चाची जी की वो ही ऊँगली साफ़ करने का नाटक किया और इस धोखे से उस ने चाची जी की ऊँगली में शैम्पू लगा दिया और मुहँ मुहँ में कुछ बुदबुदाने लगी जैसे कुछ पढ़ रही हो |
अब उस ने चाची को कहा कि वो अपनी ऊँगली से पानी के मध्य में डुबोये जैसे ही चाची ने ऐसा किया काली मिर्च का पाउडर पलेट के किनारे की और भाग गया)
चाची: हाँ!वहां भी वो बुरी रूह ऐसे ही भागी थी अरे ! ये काला इल्म तुने कहाँ से सीखा |
मीना: चाची ये कोई काला इल्म नहीं है| यह तो पृष्ठ तनाव का सिद्धांत है और साबुन,शैम्पू और डिटर्जेंट आदि इसी सिद्धांत पर ही तो कपड़ो की सफाई करते है हम सब बच्चों ने अपने विज्ञान अध्यापक से स्कूल में यह सब सीखा है और भी बहुत कुछ जैसे वैज्ञानिक प्रयोग,हाथ की सफाई और चमत्कारों का पर्दाफ़ाश करना भी सीखा है ताकि कोई हमें ना ठग सके, जैसे आप को वो सयाना ठग गया |
चाची: मै अभी जाती हूँ उस सयाने से अपने गहने वापिस लेने |
मीना: रहने दो चाची ,अब वो नहीं मिलेगा | वो तो कभी का भाग गया होगा | अपने अगले शिकार की तलाश में.....
चाची: ये सब कुछ तुझे कैसे पता ?
मीना: ये भी मेरे मास्टर जी ने ही बताया है और ये रूह,आत्मा कुछ नहीं होती और ना ही कोई भूत प्रेत |
चाची: अरे वाह ! मीना बड़ा ‘सयाना’ है रे तेरा मास्टर तो.......
हा हा हा हा हा …………..
और मै चली थाने ऍफ़.आई.आर. करवाने |
इस का वीडियो
प्रस्तुति:- सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर हरियाणा
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
Monday, 11 April 2011
वर्ष २०११ अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष, 2011 is international year chemistry.
वर्ष २०१११ अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष |
वर्ष २०११ अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष, 2011 is international year chemistry.
वर्ष २०११ अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है २०११ में रसायन और भौतिकी की एक प्रख्यात वैज्ञानिक मैडम क्यूरी को नोबल पुरस्कार मिले को १०० वर्ष पूरे हुए है इस लिए इन्हें सम्मान स्वरूप भी इस वर्ष को अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष के रूप में मनाया जाना इनके निमित्त श्रद्धांजलि होगी |
http://hi.wikipedia.org/wiki |
विज्ञान की दो अलग अलग शाखाओं में भौतिकी और रसायन में अलग अलग नोबल पाने वाली और नोबल के इतिहास में कीर्तिमान बनाने वाली मैडम क्युरी को पहला नोबल भौतिकी १९०३ में उनके पति पियरे क्युरी और उनके गुरु हेनरी बेक्वेरेल के साथ साझे में मिला था और दुसरा नोबल उनको रसायन में उनके अभूतपूर्व योगदान रेडियोधर्मिता की खोज के लिए मिला था |
जैसे कि
विश्व भौतिकी वर्ष-२००५
अन्तराष्ट्रीय पृथ्वी ग्रह वर्ष-२००८
अन्तराष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष-२००९
अन्तराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष-२०१०
को मनाया गया इसी प्रकार वर्ष २०११ को सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष २०११ को अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की है |
सयुंक्त राष्ट्र संघ सन १९५९ से ही विषय केंद्रित अन्तराष्ट्रीय वर्ष घोषित कर रहा है |यह इस लिए किया जाता है कि विषय के बारे में उस के मुद्दों के बारे में दुनिया की का ध्यान आकर्षित किया जा सके और इन के अंतर्गत समस्याओं का हल निकाला जा सके और ज्ञान वर्धन किया जा सके |
वर्ष 2011 को अंतर्राष्ट्रीय रसायन शास्त्र वर्ष के रूप में मनाने की शुरुआत,
" वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र की 63वीं आमसभा में लिए गए संकल्प के मुताबिक वर्ष 2011 को अंतर्राष्ट्रीय रसायन शास्त्र वर्ष के रूप में मनाया जाएगा"
इस वर्ष रसायन विज्ञान की वैज्ञानिक उपलब्धियां तथा मानव ज्ञान,पर्यावरण सुरक्षा,स्वास्थ्य सुधार तथा आर्थिक विकास में रसायन विज्ञान के योगदानों के उत्सव के रूप में मनाया जाएगा |
अन्तराष्ट्रीय रसायन वर्ष-२०११ की मुख्य विषय वस्तु है : 'रसायन विज्ञान-हमारा जीवन हमारा भविष्य' "Chemistry–our life, our future,"
सयुंक्त राष्ट्र संघ ने अंतर्राष्ट्रीय रसायन शास्त्र वर्ष-२०११ को सफल बनाने का दायित्व यूनेसकोUNESCOआई.पी.यू.ए.सी. International Union of Pure and Applied Chemistry को सौंपा है | इसके कार्यक्रमों के अंतर्गत वर्ष २०११ में कईं तरह की इंटरएक्टिव एवं शैक्षिक गतिविधियों का विश्ववयापी आयोजन किया जाएगा |
स्थानीय रीजनल एवं राष्ट्रीय स्तर पर आम लोगो की भागेदारी सुनिशित की जायेगी |
तांकि आम आदमी भी समझ सके कि मानव की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रसायन विज्ञान की क्या भूमिका है यही वह विज्ञान है जिस ने मानव को विकसित करने के साथ साथ मानव समाज की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है |
उदेश्य :
-युवा वर्ग में रसायन की रूचि पैदा करना|
-प्रक्रतिक संसाधनों का कुशल प्रबंधन करने के लिए रसायन विज्ञान का प्रयोग किया जाएगा |
- रसायन विज्ञान सृजनात्मक भविष्य के बारे में जागरूकता पैदा की जायेगी |
-मानव के पृथ्वी और ब्रम्हाण्ड के बारे में जानकारी के अंतर्गत रसायन विज्ञान के ज्ञान का समावेश |
-आणविक ओषधि ,आणविक उर्जा के विकास में रसायन विज्ञान की अहम भूमिका होगी |
-महिलाओं के विज्ञान में योगदान को समझने का सुअवसर होगा यह २०११ वर्ष |
साथ ही साथ आओ हम भी शुरू कर देतें हैं इसका आयोजन ये जानकर कि रसायन विज्ञान की कितनी शाखाएं है |
अकार्बनिक रसायन विज्ञान
कार्बनिक रसायन विज्ञान
भौतिक रसायन विज्ञान
विश्लेषक रसायन विज्ञान
जीव रसायन विज्ञान
कृषि रसायन विज्ञान
ओषधि रसायन विज्ञान
ओद्योगिक रसायन विज्ञान
नाभकीय रसायन विज्ञान
भू रसायन विज्ञान
अंतरिक्ष रसायन विज्ञान
हरित रसायन विज्ञान
अभियांत्रिक रसायन विज्ञान
आदि आदि
Sunday, 10 April 2011
एमएलएन कॉलेज में संगोष्ठी का आयोजन IYC-2011 MLN College Yamuna Nagar
एमएलएन कॉलेज में संगोष्ठी का आयोजन IYC-2011 MLN College Yamuna Nagar
रसायन विकास क्रम का मूल आधार
वक्ताओं ने रखे विचारएमएलएन कॉलेज में रसायन शास्त्र विभाग की ओर से दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।कुरुक्षेत्र विवि के डा. ओपी अरोड़ा ने कहा कि रसायन मानव जीवन ही नहीं, अपितु वनस्पति जगत और जीव जंतुओं के जीवन विकास क्रम का मूल आधार है। रसायन के बिना पृथ्वी पर चेतन जगत की कल्पना बेमानी है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को रसायन तथा विद्यार्थी को रसायन शास्त्र का ज्ञान होना जरूरी है। इससे पहले गोष्ठी का आरंभ रसायन शास्त्र के एचओडी डा. अविनाश सिंह ने विषय की भूमिका देते हुए किया।
कुरुक्षेत्र विवि के प्रो. एससी भाटिया ने कहा कि सौंदर्य पदार्थों के अत्यधिक प्रयोग से चर्म रोगों को बढ़ावा मिलता है। इसलिए महिलाओं को इसका प्रयोग सावधानी से करना चाहिए। हिसार कृषि विवि के डा. सुधीर ने आने वाले समय में रसायन जगत इतना अधिक आविष्कृत होगा कि व्यक्ति व्यक्ति की शारीरिक संरचना के अनुरूप दवाइयां ईजाद की जाएगी। पंजाबी विवि पटियाला के डा. मोहम्मद यूसुफ, डा. रमेश कुमार ने विचार रखे। सेमिनार में 200 विद्यार्थियों ने भाग लिया। मौके पर पोस्टर, निबंध व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मौके पर डा. गुलशन सेठी, डा. राजीव कलसी, डा. बी मदन मोहन, डा. राजीव भंडारी, डा. हर्ष मोहन, डा. सत्यनारायण व डा. अरविंद्र कुमार उपस्थित थे। मै भी सयोंग से इस कार्यक्रम के दूसरे दिन अपने कुछ भूतपूर्व छात्र छात्राओं के निमंत्रण पर कोलिज पहुंचा, बता दूं कि विज्ञान संचार के अपने कार्य के तहत मेरा प्रयास यह होता है कि मै ग्रामीण इलाको से अपने विद्यार्थियों को मैट्रिक यानी दसवी के बाद आगे विज्ञान संकाय की शिक्षा के लिए प्रेरित करूँ और हर वर्ष १० -१५ बच्चों को मेडिकल और नॉन मेडिकल १०+१ में प्रवेश दिलवाता हूँ उन का विज्ञान की शिक्षा के प्रति भय और शंका दूर करने में पूर्रे वर्ष का समय लगता है|
ये ही बच्चे स्नातक कक्षाओं में शहर के ३ कोलिजो में B.Sc में प्रवेश लेते है |
इस स्थानीय कोलिज में मेरे भूतपूर्व छात्र/छात्राओं में से शिक्षक और विद्यार्थी दोनों रूपों में मोजूद है इन्ही के निमंत्रण पर मै अनोपचारिक तौर पर इस कार्यक्रम में शरीक हुआ |
बहुत ही अच्छा लगा कार्यक्रम देख कर,जिस प्रकार से उम्दा अरेंजमेंट किया गया था से साफ़ पता चलता था कि कई दिनों से बच्चे तयारियों में लगे होंगे |
पोस्टर बहुत ही अच्छे लगे,उन की व्याख्या करने वाले विद्यार्थी पूरा दम लगा कर पोस्टर से दर्शकों को रूबरू करवा रहे थे |
M.Sc.,B.Sc. के विद्यार्थियों से मिल कर बहुत अच्छा लगा |
इस तरह के आयोजन विषय में रूचि उत्पन्न करते है |
मेरे विचार से कोशिश की जानी चाहिए थी कि स्थानीय और ग्रामीण स्कूलों से विज्ञान अध्यापको को भी बुलाया जाता पहले इस कोलिज की ऐसी परम्परा रही है १९९५ में मैंने इसी कोलिज में पूर्ण सूर्य ग्रहण पर दूरदर्शी निर्माण पर एक तीन दिन की कार्यशाला अटैंड की है और कोलिज के मैदान मेंपूर्ण सूर्य ग्रहण का सीधा दृश्य जनता को दिखाया हुआ है |
मेरे विचार से कोशिश की जानी चाहिए थी कि स्थानीय और ग्रामीण स्कूलों से विज्ञान अध्यापको को भी बुलाया जाता पहले इस कोलिज की ऐसी परम्परा रही है १९९५ में मैंने इसी कोलिज में पूर्ण सूर्य ग्रहण पर दूरदर्शी निर्माण पर एक तीन दिन की कार्यशाला अटैंड की है और कोलिज के मैदान मेंपूर्ण सूर्य ग्रहण का सीधा दृश्य जनता को दिखाया हुआ है |
मै शायद ना जा पता यदि मेरे भूतपूर्व विद्यार्थी मुझे ना बताते,
कोलिज प्रशासन और सम्बन्धित शिक्षक वर्ग का बहुत बहुत धन्यवाद |
Wednesday, 6 April 2011
कुट्टू का आटा "kuttu ka atta"
क्या होता है कुट्टू का आटा "kuttu ka atta"
लोग नवरात्रों के व्रत में कुट्टू के आटे का इस्तेमाल करते है और इन दिनों इस की मांग ज्यादा हो जाती है जब नवरात्रे होते है |
मांग बढने का कारण है गली नुक्कडों से लेकर ढाबों और रेस्टोरेंटों,होटलों में भी मुनाफ़ा कमाने के लिए और मोका कैश करने के लिए नवरात्रों के व्यंजन थाली बनाने लगे है |
डिमांड ज्यादा होने के कारण इस आटे पर भी मिलावटखोरों की नजर पड गई है।
आओ जाने है क्या कुट्टू का आटा :-
लोग नवरात्रों के व्रत में कुट्टू के आटे का इस्तेमाल करते है और इन दिनों इस की मांग ज्यादा हो जाती है जब नवरात्रे होते है |
मांग बढने का कारण है गली नुक्कडों से लेकर ढाबों और रेस्टोरेंटों,होटलों में भी मुनाफ़ा कमाने के लिए और मोका कैश करने के लिए नवरात्रों के व्यंजन थाली बनाने लगे है |
डिमांड ज्यादा होने के कारण इस आटे पर भी मिलावटखोरों की नजर पड गई है।
आओ जाने है क्या कुट्टू का आटा :-
वास्तव में जो बक्वीट buckwheat का पौधा है उसी के बीजों से बनता है कुट्टू या फाफरे का आटा,नवरात्र में व्रतियों के लिए कुट्टू से बना खाना जहर साबित हुआ। दरअसल एक तरफ कुट्टू का आटा अपने अंदर बड़े गुण छिपाए है, वहीं पुराना होने पर जहरीला भी हो जाता है। जानकारों की मानें तो कुट्टू का आटा बनने के एक माह तक ही खाने लायक रहता है। इससे पुराना होने पर वह खाने के अनुकूल नहीं रहता। वह जहरीला हो जाता है।
कुट्टू रागी यानि फिंगर मिलेट से भी बनता है
सिंघाडा से भी बनता है
कुट्टू कहे जाने वाले आटे को अंग्रेजी में 'बकवीट' तो पंजाब में 'ओखला' के नाम से जाना जाता है। । इसका वैज्ञानिक नाम 'फैगोपाइरम एसक्युल्युटम' है। बकवीट का पौधा होता है। जो काफी तेजी के साथ बढ़ता है और 6 हफ्ते में इसकी लंबाई 50 इंच तक बढ़ जाती है। बकवीट के सफेद फूल में से बीज निकाला जाता है। जिसे महीन पीसकर कुट्टू का आटा तैयार होता है। इस आटे में दुकानदार सिंघाड़ा गिरी को पीसकर बनाया गया आटा भी मिला देते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्र व महाशिवरात्री में लोग इस आटे की पूड़ी व पकौड़े बनाकर व्रत खोलते हैं।
बकवीट से बनती हैं दवाइया भी
बकवीट शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें 75 प्रतिशत कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होते हैं और 25 प्रतिशत हाई क्वालिटी प्रोटीन की मात्रा होती है। जो शरीर का वजन कम करने में सहायक है। बकवीट ब्लड प्रेशर व हार्ट के मरीज के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें मैगनीशियम, फाइबर, विटामिन-बी, आयरन, फासफोरस की मात्रा अधिक होती है। कई दवाइयों में बकवीट का उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं न्यूजीलैंड में तो फसल पर कीड़ों की रोकथाम के लिए कुट्टू पर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। इसके अलावा हल्की गर्मियों के दिनों में दो फसलों के बीच किसान इसकी खेती करते हैं। जो जमीन की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाता है।
आटा खाने लायक है या नहीं कैसे पता लगाएं
-कुट्टू का आटा लेते समय उसमें देखें कि आटे में काले दाने जैसा तो कुछ नहीं है
-आटे में खुरदरापन नहीं होना चाहिए
-आटा लेते समय ध्यान रखें कि पैकेट सील बंद हो।
-अकसर लालच में दुकानदार पिछले वर्ष का बचा हुआ माल बेचते हैं। जिसमें काफी जल्दी सुरसुरी (खाद्य पदार्थ में होने वाले छोटे कीड़े) पड़ जाते हैं।
-कई बार पुराने आटे में चूहे आदि छोटे कीड़ों के कारण फंगल इंफेकशन हो जाता है
-हमेशा बाजार से लाया गया आटा छानकर उपयोग करें
-वर्तमान में मार्केट में आटा 80-120 रुपये किलो है। अगर मार्केट में आपको कोई इससे सस्ता आटा दे तो समझ लें कि कुछ गड़बड़झाला है
बचा खुचा पुराना माल बेचा जा रहा है आजकल
काली दाल के छिलके,चावल की किनकी को पीस कर अन्य आटे में मिला कर भी बनाया जा रहा है |
संदर्भ: दैनिक जागरण,विकिपीडिया
कुट्टू रागी यानि फिंगर मिलेट से भी बनता है
सिंघाडा से भी बनता है
कुट्टू कहे जाने वाले आटे को अंग्रेजी में 'बकवीट' तो पंजाब में 'ओखला' के नाम से जाना जाता है। । इसका वैज्ञानिक नाम 'फैगोपाइरम एसक्युल्युटम' है। बकवीट का पौधा होता है। जो काफी तेजी के साथ बढ़ता है और 6 हफ्ते में इसकी लंबाई 50 इंच तक बढ़ जाती है। बकवीट के सफेद फूल में से बीज निकाला जाता है। जिसे महीन पीसकर कुट्टू का आटा तैयार होता है। इस आटे में दुकानदार सिंघाड़ा गिरी को पीसकर बनाया गया आटा भी मिला देते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्र व महाशिवरात्री में लोग इस आटे की पूड़ी व पकौड़े बनाकर व्रत खोलते हैं।
बकवीट से बनती हैं दवाइया भी
बकवीट शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें 75 प्रतिशत कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होते हैं और 25 प्रतिशत हाई क्वालिटी प्रोटीन की मात्रा होती है। जो शरीर का वजन कम करने में सहायक है। बकवीट ब्लड प्रेशर व हार्ट के मरीज के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें मैगनीशियम, फाइबर, विटामिन-बी, आयरन, फासफोरस की मात्रा अधिक होती है। कई दवाइयों में बकवीट का उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं न्यूजीलैंड में तो फसल पर कीड़ों की रोकथाम के लिए कुट्टू पर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। इसके अलावा हल्की गर्मियों के दिनों में दो फसलों के बीच किसान इसकी खेती करते हैं। जो जमीन की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाता है।
आटा खाने लायक है या नहीं कैसे पता लगाएं
-कुट्टू का आटा लेते समय उसमें देखें कि आटे में काले दाने जैसा तो कुछ नहीं है
-आटे में खुरदरापन नहीं होना चाहिए
-आटा लेते समय ध्यान रखें कि पैकेट सील बंद हो।
-अकसर लालच में दुकानदार पिछले वर्ष का बचा हुआ माल बेचते हैं। जिसमें काफी जल्दी सुरसुरी (खाद्य पदार्थ में होने वाले छोटे कीड़े) पड़ जाते हैं।
-कई बार पुराने आटे में चूहे आदि छोटे कीड़ों के कारण फंगल इंफेकशन हो जाता है
-हमेशा बाजार से लाया गया आटा छानकर उपयोग करें
-वर्तमान में मार्केट में आटा 80-120 रुपये किलो है। अगर मार्केट में आपको कोई इससे सस्ता आटा दे तो समझ लें कि कुछ गड़बड़झाला है
बचा खुचा पुराना माल बेचा जा रहा है आजकल
काली दाल के छिलके,चावल की किनकी को पीस कर अन्य आटे में मिला कर भी बनाया जा रहा है |
संदर्भ: दैनिक जागरण,विकिपीडिया
Saturday, 2 April 2011
घनत्व का खेल Density Difference
घनत्व का खेल Density Difference
आवश्यक सामग्री :- पेट्रोल,डीजल,केरोसीन,पानी ,मापक सिलेंडर(या कोई भी काँच का ऐसा बर्तन)
सिद्धांत :-घनत्व Density
प्रयोग विधि :- मापक सिलेंडर ले कर उस में बारी बारी चारों द्रव डाल लेते है कुछ देर रुकने पर हम देखते है मापक सिलेंडर में चार लेयरस बन गई है क्रमशः नीचे से पानी,केरोसीन,डीजल,पेट्रोल
नोट :-डीजल,पेट्रोल की लेयरस थोड़ा ध्यान से देखने पर मालूम होती है |
चित्र देखे ..
ऐसा क्यों ? सब द्रवो का घनत्व Density अलग अलग होता है (साधारण भाषा में कहे तो अधिक घनत्व वाला द्रव अधिक भारी) इस कारण ऐसा होता है |
अलग अलग द्रव ले कर प्रयोग करो |
ग्रे साइन्टिफिक वर्क्स यमुना नगर द्वारा सुझाया गया
द्वारा--दर्शन बवेजा ,विज्ञान अध्यापक ,यमुना नगर ,हरियाणा
Saturday, 19 March 2011
कार्बनडाईआक्साइड गैस बनाये Carbon dioxide Gas
कार्बनडाईआक्साइड गैस बनाये Carbon dioxide Gas
निम्बू का रस ,मीठा सोडा (सोडियम बाई कार्बोनेट),एक बोतल,पानी,माचिस आदि की मदद से घर पर ही कार्बनडाइऑक्साइड गैस बना कर रसायन की समझ को विकसित किया जा सकता है इस में कोई खतरा भी नहीं है आओ जाने रसायन शास्त्र की अनोखी गतिविधि ....
कार्बनडाइऑक्साइड गैस के गुण :-
1.कार्बनडाइऑक्साइड गैस वायु से 1.5 गुणा भारी है |
2.हल्की सी अम्लीय प्रकृति की है|
3.इस गैस का संरचना सूत्र (O=C=O) व अणु सूत्र CO2 है |
यहाँ विकी पर और जाने इस गैस के बारे में
प्रयोग विधि से जाने घर पर ही कैसे बना कर जाने इस गैस के बारे में ...
4-5 निम्बुओं का रस निकल कर एक बोतल में दो स्पून मीठा सोडा (सोडियम बाई कार्बोनेट) डाल कर थोडा पानी मिला कर निम्बुओं का रस डाल दो एकदम बुलबुले उठेंगे कार्बन डाई आक्साइड गैस बनने लगेगी जाँच करने के लिए एक जलती हुई माचिस कि तिल्ली बोतल के अंदर ले जाने पर बुझ जाती है कार्बन डाई आक्साइड गैस आग को बुझा देती है
यह प्रयोग घर पर भी सावधानी पूर्वक किया जा सकता है
साधनों की कमी वाले स्कूल में अध्यापक इस प्रयोग से CO2 बना कर दिखा सकते है |
नोट:बच्चों को कोई भी रासायनिक प्रयोग आवश्यक सुरक्षात्मक उपायों के साथ किसी विशेषज्ञ की देख रेख में ही करने चाहिये |
निम्बू का रस ,मीठा सोडा (सोडियम बाई कार्बोनेट),एक बोतल,पानी,माचिस आदि की मदद से घर पर ही कार्बनडाइऑक्साइड गैस बना कर रसायन की समझ को विकसित किया जा सकता है इस में कोई खतरा भी नहीं है आओ जाने रसायन शास्त्र की अनोखी गतिविधि ....
कार्बनडाइऑक्साइड गैस के गुण :-
1.कार्बनडाइऑक्साइड गैस वायु से 1.5 गुणा भारी है |
2.हल्की सी अम्लीय प्रकृति की है|
3.इस गैस का संरचना सूत्र (O=C=O) व अणु सूत्र CO2 है |
यहाँ विकी पर और जाने इस गैस के बारे में
प्रयोग विधि से जाने घर पर ही कैसे बना कर जाने इस गैस के बारे में ...
4-5 निम्बुओं का रस निकल कर एक बोतल में दो स्पून मीठा सोडा (सोडियम बाई कार्बोनेट) डाल कर थोडा पानी मिला कर निम्बुओं का रस डाल दो एकदम बुलबुले उठेंगे कार्बन डाई आक्साइड गैस बनने लगेगी जाँच करने के लिए एक जलती हुई माचिस कि तिल्ली बोतल के अंदर ले जाने पर बुझ जाती है कार्बन डाई आक्साइड गैस आग को बुझा देती है
यह प्रयोग घर पर भी सावधानी पूर्वक किया जा सकता है
साधनों की कमी वाले स्कूल में अध्यापक इस प्रयोग से CO2 बना कर दिखा सकते है |
नोट:बच्चों को कोई भी रासायनिक प्रयोग आवश्यक सुरक्षात्मक उपायों के साथ किसी विशेषज्ञ की देख रेख में ही करने चाहिये |
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